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Delhi, देहरादून, उत्तराखंड, India
एक दिशा, एक एहसास, नयी शुरुआत और एक कोशिश...यहीं से शुरू है यह छोटा सा प्रयास...अपनी अनुभूतियों के निर्झर स्रोत को एक निश्चल और अंतहीन बहाव देने का...

Friday, December 4, 2009

आया शिशिर...

आया शिशिर
धवल कर गया 
शैलों को फिर ।

Wednesday, December 2, 2009

सच तो जानो ...



क्यों भागते हो
झूठे बिम्ब की ओर
सच तो जानो ।

Tuesday, December 1, 2009

झूठ की कालिमा...ढाँपे सच...

देखा है आज
झूठ की कालिमा को
सच ढाँपते।

Friday, November 27, 2009

इन्द्रधनुष हुई ओस...

ओस की बून्दें
हुई इन्द्रधनुष
ले सूर्य रश्मि।

Thursday, November 26, 2009

मेरा हिन्द खो गया...

दिल बेचैन
मेरा हिन्द ख़ो गया
बेघर हूँ मैं ।

Wednesday, November 25, 2009

भगत सिंह फिर आयेगा...

ख्वाब है यही
कोई भगत सिंह

फिर आएगा ।

Tuesday, November 24, 2009

तपते शैल...

धूप की अग्नि
जलाए नंगे शैल

कब तलक ?

Monday, November 23, 2009

प्यासे स्रोत...

निर्झर स्रोत
बहते थे जो कल
हैं अब प्यासे।

Friday, November 20, 2009

ओस...

ओस की बून्दें
कहे जीवन तो है
क्षणभंगुर

Thursday, November 19, 2009

कोमल स्पर्श...

कोमल स्पर्श
छू जाये जो मन को
बिटिया है वो

Wednesday, November 18, 2009

स्नेह्गूंज...

पिता आंगन
गूंजे चूडी पाजेब
बिटिया प्यारी

Tuesday, November 17, 2009

बेटी...

जीवन सार
बेटी नही है भार
वो है श्रृंगार