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हाईकु अनुभूति
वेब पर पूर्ण रूप से हिन्दी हाइकु को समर्पित पहला चिट्ठा (जहाँ एक हाइकु प्रतिदिन लिखा जाता है)
About Me
अरविन्द
Delhi, देहरादून, उत्तराखंड, India
एक दिशा, एक एहसास, नयी शुरुआत और एक कोशिश...यहीं से शुरू है यह छोटा सा प्रयास...अपनी अनुभूतियों के निर्झर स्रोत को एक निश्चल और अंतहीन बहाव देने का...
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Monday, November 15, 2010
व्यथा अपार लिये खडा कमल
व्यथा अपार
लिये खडा कमल
फिर भी खिले
सौम्य कमल
सिखा देता है
जीने के सच्चे सूत्र
सौम्य कमल
फूल कमल
फूल कमल
शोभा बन जाता है
देवी देवों की
खिलें कमल
गुलाबी हुए
सरोवर औ ताल
खिलें कमल
निर्भीक सरोज...
निर्भीक खडा
दलदल के बीच
पद्म सरोज
कोमल सा कमल
आसन बना
कोमल सा कमल
देवी चरण
लक्ष्मी और ब्रह्मा में मिले कमल...
रंग रूप में
लक्ष्मी और
ब्रह्मा में
मिले कमल
पद्म सरोज...
पद्म सरोज
दलदल में पले
फिर भी सुन्दर
तिरे जलज...
हरे बिछौने
बैठ गुलाबी बन,
तिरे जलज
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