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हाईकु अनुभूति
वेब पर पूर्ण रूप से हिन्दी हाइकु को समर्पित पहला चिट्ठा (जहाँ एक हाइकु प्रतिदिन लिखा जाता है)
About Me
अरविन्द
Delhi, देहरादून, उत्तराखंड, India
एक दिशा, एक एहसास, नयी शुरुआत और एक कोशिश...यहीं से शुरू है यह छोटा सा प्रयास...अपनी अनुभूतियों के निर्झर स्रोत को एक निश्चल और अंतहीन बहाव देने का...
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Tuesday, June 21, 2011
कन्या जो हूँ ना...
रोक देते हो
साँसें मेरी तुम क्यों
कन्या जो हूँ ना ।
नारंगी धरा...
चित्र पटल
पलाश चित्रकार
नारंगी धरा ।
पलाश रंग...
वन की ज्योती
लाल लाल सी पाँत
पलाश रंग ।
टॆसू नहाई...
छटा ये आज
दीखती केसरिया
टॆसू नहाई ।
पलाश सुर्ख़...
हरित वृक्ष
लिये सर पे अग्नि
पलाश सुर्ख़ ।
सौम्य सुशील पलाश...
अग्नि लपट
सौम्य सुशील खड़ा
देखो पलाश ।
पलाश वन...
खिल गए हैं
कई सूरज आज
पलाश वन ।
खडा है पलाश...
रक्तिम मुख
लिये खडा पलाश
सूर्य रश्मि सा ।
पलाश खिले...
आभा नारंगी
छाई हरे वन पे
पलाश खिले ।
टेसू नारंगी...
शृंगार किये
आ ख़डा है बसंत
टेसू नारंगी |
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कन्या जो हूँ ना...
नारंगी धरा...
पलाश रंग...
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सौम्य सुशील पलाश...
पलाश वन...
खडा है पलाश...
पलाश खिले...
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